भारत की सबसे बड़ी आईटी कंपनी टीसीएस एक बार फिर शेयर बायबैक का ऐलान कर सकती है। फिलहाल इस प्रपोजल पर 15 जून को होने वाली बोर्ड मीटिंग में विचार किया जाएगा। टीसीएस ने इस बारे में स्टॉक एक्सचेंज बीएसई को दी गई फाइलिंग में जानकारी दी है। हालांकि टीसीएस ने इस बारे में विस्तार से कोई जानकारी नहीं दी है।
बता दें कि पिछले साल फरवरी में टीसीएस बोर्ड ने शेयर बायबैक को मंजूरी दी थी। तब कंपनी ने 5.61 करोड़ शेयरों को 16000 करोड़ रुपए में वापस खरीदने का ऐलान किया था। बायबैक शेयरों का आकार कंपनी के पेड अप पूंजी का 2.85 फीसदी था और यह 2850 रुपए प्रति शेयर की दर से बायबैक किया गया था।
शेयर में दिखी तेजी
कंपनी द्वारा शेयर बायबैक के प्रपोजल की जानकारी दिए जाने के बाद से कंपनी के शेयरों में तेजी दिख रही है। बुधवार के कारोबार में टीसीएस का शेयर 2 फीसदी से ज्यादा तेजी के साथ 1830 रुपए के भाव पर पहुंच गया। कंपनी का शेयर मंगलवार को 1781 रुपए के भाव पर बंद हुआ था। वहीं, बुधवार को 1815 रुपए के भाव पर खुला। 1830 रुपए का भाव आज का हाई है, वहीं, 1800 रुपए का भाव आज का लो रहा है।
FY18 में शेयर होल्डर्स को 26800 करोड़ रु लौटाए
फाइनेंशियल ईयर 2018 में टीसीएस ने अपने शेयर होल्डर्स को डिविडेंड और बायबैक के जरिए 26800 करोड़ रुपए लौटाए थे। पूरे साल की बात करें तो टीसीएस का ऑपरेशंस ने नेटकैश 28610 करोड़ रुपए और फ्री कैश फ्लो 26360 करोड़ रुपए रहा था। बता दें कि शेयर बायबैक से कंपनी का अर्निंग प्रति शेयर इंप्रूव होता है, वहीं, सरप्लस कैश होने पर शेयर होल्डर्स को इसका फायदा दिया जाता है। पिछले साल टीसीएस की तरह कुठ और आईटी कंपनियों ने बायबैक को मंजूरी दी थी।
क्या होता है शेयर बायबैक
जब कोई कंपनी मार्केट में जारी शेयरों को दोबारा खरीदने की कोशिश करती है तो इसे शेयर बायबैक कहा जाता है। ऐसा कर कंपनी मार्केट में मौजूद अपने शेयरों की संख्या घटाती है। इससे अर्निंग पर शेयर (ईपीएस) में इंप्रूवमेंट होता है। इसके अलावा कंपनी की एसेट पर मिलने वाला रिटर्न भी बढ़ता है। असल में शेयर बायबैक किसी भी कंपनी की मजबूत बैलेंसशीट का संकेत भी देता है। कंपनी अपने शेयर तभी मार्केट से वापस लेती है जब उसके पास सरप्लस कैश होता है। बायबैक से कंपनी की बैलेंस शीट और भी बेहतर होती है।
कैसे होता है बायबैक
बायबैक के लिए कंपनी के पास दो तरीके होते हैं। पहला टेंडर ऑफर और दूसरा ओपन मार्केट के जरिए। टेंडर ऑफर में कंपनी शेयरों की संख्या बताकर ऑफर जारी करती है। जितने शेयर कंपनी बायबैक करना चाहती है और इन शेयरों को खरीदने के लिए प्राइस रेंज का संकेत देती है। निवेशकों को आवेदन फॉर्म भरकर जमा करना होता है। आवेदन में निवेशक कंपनी को बताता है कि वह कितने शेयर टेंडर करना चाहता है और इसके लिए क्या कीमत चाहता है। कंपनी अगर निवेशक द्वारा शेयर को स्वीकार कर रही है तो उसे ऑफर क्लोज होने के 15 दिन के अंदर जानकारी देनी होगी। दूसरे विकल्प में ओपन मार्केट के जरिए कंपनी धीरे-धीरे मार्केट से ही शेयर वापस खरीदना शुरु कर सकती है।

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